
बिहार और बिहारियों का हाल ३० साल लालू नितीश के बाद! #Bridge Collapse in Bihar
पंद्रह साल सत्ता के बाद लालू का अवसान और नितीश का उदय
1990 से 2004 तक माननीय लालू यादव के मुख्यमंत्रीत्व काल में बिहार बीमारू और जंगल राज्य के तमगा से अलंकृत हो रहा था । उसी समय लालू यादव की बढ़ती लोकप्रियता और अपनी कम होती पूछ से परेशान जयप्रकाश नारायण के आंदोलन की छत्रछाया में पले बढ़े एक राजनेता का उदय होता है उनका नाम है नीतीश कुमार । किसी को भी ईश्वर अपनी योग्यता से ज्यादा दे देता है तो उसे आता है दम्भ, अहंकार ,दूसरे से हमेशा अपने आप को ऊपर मानना श्री नीतीश कुमार इसी दम्भ के शिकार हैं ।
नितीश राज में बिहार की बर्बादी पार्ट – 2 #Bridge Collapse in Bihar
स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई की लोकप्रियता उस समय चरम पर था । वाजपेई जी ने अपनी लोकप्रियता के सहारे नीतीश कुमार के राजनीतिक कद को सर्वव्यापी बना दिया । नीतीश जी की अपनी इतनी लोकप्रियता थी नहीं, वाजपेई जी को लालू यादव के कुशासन से त्रस्त बिहार की जनता को बचाना भी था । अकेले बीजेपी के जरिए लालू को चुनावी अखाड़ा में हराना असंभव था । अटल जी ने लालू के कुशासन और आतंक को बिहार की धरती से हटाने के लिए नीतीश जी को खड़ा किया और लालू जी के शासन और आतंक का समापन किया। अब शुरू होता है, नितीश जी का आतंक। इन्होने प्रथम पंचवर्षीय में लालू यादव के राज में शुरू हुए संगठित अपराध पर नकेल कसने की कोशिस की और बहुत हद तक सफल हुए। कुछ समय तक जगल राज पर नकेल कसने की सफलता के कारण बिहार की जनता ने सर माथे पे बिठा लिया। नितीश कुमार जी बिहार के जनता से मिल रही इस असीमित प्यार को पचा नहीं पाए। उलटे इन्होने बिहार की जनता का ही शोषण करना आरम्भ कर दिए।
निम्नलिखित क्रमबार बिन्दुओ से आप समझ जाएंगे इनके शाशन काल में बिहार की जनता के साथ क्या क्या ज्यादतियां हुयी ।
1 दारू बंद योजना : – नितीश कुमार जी दारू बंद करने के चक्कर में मदिरा का Parallel Economy बिहार के गाम-गाम तक पंहुचा दिए । जिन बच्चो को कॉलेज की पढाई शुरू करना चाहिए था वो लड़के नशा का कालाबाजारी में अपना जिंदगी बर्बाद कर रहा है। मदिरा का खपत इस योजना के बाद से बढ़ा ही है और तो और Dominos की तरह ३० min के अंदर door -to -door डिलीवरी के वायदे के साथ।
२ नल – जल योजना : –स्वर्गीय अटल विहारी वाजपई की महत्वाकांछी ग्राम सड़क परियोजना के तहत भारत के अधिकांश ग्रामीण अंचलो में सड़क का निर्माण हुआ। नितीश कुमार जी का जल नल योजना ने इस ग्रामीण सड़को का बुरा हाल कर दिया। पानी पाइप को जमीन के नीचे बिछाने के अंधदौड़ में इन्होने सारी सड़क को तहस नहस कर दिया। ना माया मिली ना राम वाली कहावत चरितार्थ हो गया। ना ही कभी नल में पानी आया और जो रोड था वो भी बर्बाद हो गया।
3 असीमित बेरोजगारी : –इन्होने अपने शाशन काल में रोजगार के लिए एक भी काम नहीं किये। एक भी नया उद्योग जिसमे २००० लोगो को नौकरी मिले इसका बंदोबस्त नहीं किया। इन्होने बिहार को मजदूर की फैक्ट्री बना के रख दिया। विश्व में कही भी सस्ते और टिकाऊ मजदूर की जरुरत है तो आप नितीश कुमार से संपर्क कर सकते है। जब से भारत की आर्थिक नीति का उदारीकरण हुआ तब से इन्ही दो लोगो का शाशन है बिहार में क्या एक भी उद्योग आया। एक भी विदेशी कंपनी ने बिहार में दस्तक दी।
4 संगठित भ्रष्टाचार और लूट : – बिहार के भागलपुर जिले में एक साल के अंदर एक ही पुल का निर्माणाधीन अवस्था दो बार गिरना जिसका लगत 17०० करोड़ है ये भ्रस्टाचार का चरम सीमा नहीं है तो क्या है। अनेको भरस्टाचार का मामला आया इनके शाशन काल में लेकिन मजाल है एक भी दोषी पे निर्णायक करवाई हुयी हो।
भागलपुर पुल गिरने पर बिहार की महान बिभूति का बयान
“ये जो पुल गिरा है वो एक साल पहले भी गिरा था। इसका निर्माण सही से नहीं हुआ। ”
नितीश जी के बयान का अंश।
जातिवाद का अफीम चाटती बिहार की जनता में अब इतना नैतिकता नहीं बचा है की कोई इनसे पूछे जो पुल एक वर्ष पहले गिरा था वो पुल फिर एक साल में ही क्यों काल के गाल में समां गया। एक साल पहले जब यही पुल टुटा तो कितनी कंपनी को ब्लैक लिस्ट किया गया। नितीश जी इसमें खर्च हुए 1700 करोड़ का जिम्मेदार कौन होगा। बिहार जैसे गरीब राज्य में 1700 करोड़ आपके लिए मायने नहीं रखते। 800 – 900 करोड़ में बनने वाली संसद से आप इतना नाराज हो गए की इसके उद्घाटन में आपकी पार्टी ने बहिष्कार की नीति अपनायी। 1700 करोड़ का पुल पानी में बह गया तब तो आपको बिहार की सत्ता का बहिष्कार कर देना चाहिए।
इस पुल के भरष्टाचार का मुद्दा मनीष कश्यप ने उठाया उसकी क्या दुर्गति हुयी वो किसी से छुपा नहीं है। मुझे ये नहीं समझ नहीं आ रहा है आपलोग भरस्टाचार करने वाले को दण्डित करते है या भरस्टाचार को उजागर करने वाले को।
ये दोनों नेता चाचा जी नितीश कुमार और भतीजा तेजस्वी यादव बिहार की सुध छोर जनता के पैसे से चार्टेड प्लेन के द्वारा देशभर में घूम घूम के नेताओ से पूछ रहे है तुम प्रधानमंत्री बनोगे, तुम बनोगे यदि नहीं कोई बनता है तो चाचा जी की वक्रदृस्टि तो है ही कुर्सी पे। नितीश जी इस चक्कर में है की बिल्ली के भाग्य से छेंका टूटे तो प्रधानमंत्री की कुर्सी मिले। बिहार का अभी तक भला नहीं हुआ तो नितीश जी क्या करे इसमें।
नितीश कुमार पर यह कविता सटीक बैठती है
“Nitish Kumar Once Bihar’s hope
Left the state in a downward slope.
Promises Broken, Progress Denied
Bihar’s fate, now cast aside”
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यदि नीतीश कुमार भाजपा के साथ गठबंधन की सरकार में रहते तो पुल का गिरना किसी को दिखायी ही ना दिया होता ।।
आज कल मीडिया से बड़ा चाटुकार कोई है नहीं ।।।
महाशय आप विषय की गंभीरता को नहीं समझ पाए। पिछले ३० साल से शाशन या तो लालू का है बिहार में नहीं तो नितीश जी है। क्या बिहार के बीमारू राज्य का दर्जा हटाने में कामयाब हुए। बेरोजगारी हटी कुछ हुआ नहीं और चल दिए प्रधानमंत्री बनाने। इसमें किसी भी पार्टी का समर्थन नहीं है। जो गलत हो रहा है उस मुद्दे को highlight किया जा रहा है।